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कविता

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विशाल श्रीवास्तव


पढ़ते हैं कुछ तो
शब्दों की बाँह पकड़
चल लेते कुछ कदम
कि पढ़ते पढ़ते हम
लिखे हुए का 
अपनी तरह का पाठ बन जाते
इस आसान सी दुनिया के 
शब्द बड़े साधारण
इसीलिए
इस मामूली दुनिया के आदमी
अकसर कविता बन जाते हैं
कोई ललंबी समकालीन कहानी 
पढ़ने के बाद।
 

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हिंदी समय में विशाल श्रीवास्तव की रचनाएँ